रतलाम – : रतलाम जिले में कई ऐसे टूरिज्म स्पॉट मोजूद है जहा अगर पर्यटक जाए तो उनका मनमोहक हो उठेगा , अगर आप एक स्थान जायेंगे तो आप अन्य स्थानों पर भी जाना बेहद पसंद करेंगे , रतलाम का शासकीय जिला चिकित्सालय अब टूरिज्म स्पॉट (पर्यटन स्थल) बन गया है , साथ ही जिला चिकित्सालय में मोजूद डॉक्टर टूरिज्म गाइड बन गए है , रतलाम के अनेक स्थानों पर आपको टूरिज्म गाइड उपलब्ध हो न हो किंतु रतलाम जिले के नए टूरिज्म स्पॉट शासकीय जिला अस्पताल में आपको डॉक्टर गाइड बने हुए नजर आएंगे , अगर कोई आगंतुक किसी कार्य को लेकर किसी डॉक्टर के पास जायेगा तो उसे सही निराकरण नही मिलेगा अपितु उसे एक रूम से दूसरे रूम की यात्रा करवाई जायेगी
अफसरों में जानकारी का अभाव और आगंतुक परेशान – : जिला चिकित्सालय में ड्यूटी पर मोजूद डॉक्टर से लेकर जनता की सेवा में मोजूद अफसर से कर्मचारी में जानकारी का अभाव है , कई अफसर और कर्मचारी को इस बात का नही पता की यह जानकारी आगंतुक को कहा से मिलेगी, बस अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए आगंतुक को एक रूम से दूसरे रूम तक की यात्रा करवाई जाती है , आखिरकार आगंतुक भी जिला चिकित्सालय के इन अफसर से परेशान हो कर उनके आगे नमस्तक होकर चला जाता है
जिला चिकित्सालय के अफसर मोदी ने किया अभद्र व्यवहार, सीएमएचओ से शिकायत : –
बीते दिन एक आगंतुक द्वारा अपने पारिवारिक सदस्य के आधार अपडेशन के लिए जिला चिकित्सालय में गजेटेड ऑफिसर से फार्म पर हस्ताक्षर करवाने के लिए गया था , पहले तो आगंतुक को डॉक्टरों ने 16 नंबर रूम से 20 नंबर तक कई बार घुमाया फिर 14 नंबर रूम में भेजा जहा वरिष्ठ अफसर प्रणव मोदी मोजूद थे आगंतुक ने हस्ताक्षर के लिए कहा तो प्रणव मोदी ने अभद्र व्यवहार किया और हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया, हालाकि यह मामला जब सीएमएचओ के समक्ष गया तो उन्होने गलती मान फार्म पर हस्ताक्षर कर मामले का निराकरण किया
कई आगंतुक और मरीजों से हस्ताक्षर करने के नाम पर लिए जाते है डॉक्टर खर्चे पानी के रुपए –
सूत्रो से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला चिकित्सालय के कई वरिष्ठ अधिकारी और डॉक्टर किसी दस्तावेज़ पर अपने हस्ताक्षर करने के नाम पर 200 से लेकर 300 रुपए तक फीस लेते है , जो की डॉक्टर के खर्चे पानी के रूप में काम आते है , चाहे आधार अपडेशन के फॉर्म हो या तीर्थ यात्रा दर्शन योजना में हस्ताक्षर करना हो प्रति हस्ताक्षर करने के लिए जाते है 200 से 300 रुपए , सूत्रो ने बताया जाता है की कई शासकीय डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक पर भी अपने हस्ताक्षर करने के लिए अपनी फीस पे करवाते है
जब मामले से रूबरू करवाने के लिए सिविल सर्जन से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा किसी कार्यक्रम में व्यवस्थ होने का हवाला दिया गया
