रतलाम : – शहर के प्राचीन श्री गढ़केलाश महादेव मंदिर पर अधिकमास शिव आराधना परिवार द्वारा संगीतमय श्री शिव महापुराण का समापन रविवार को हुआ। चार दिनों तक श्री गढ़ कैलाश मंदिर में आयोजित हुई इस कथा के अंतिम दिन 11 हजार पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन व दीप दान का आयोजन हुआ।
पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व बताते हुए आचार्य पं. अश्विन रावल ने बताया कि कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन का प्रारंभ किया था। शिवमहापुराण में ‘विद्येश्वरसंहिता’ के 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक “अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम, सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:” के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तुरंत ही जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की बहु, पुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। गृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती है।
इस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं। शिवपुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन-धान्य, आरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती है। जो दम्पति पुत्र प्राप्ति करना चाहते हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए। पार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।
कथा का समापन भगवान शिव की आरती के साथ हुआ। जिसके बाद भक्तों में खीर व फरियाली खिचड़ी का वितरण किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग समेत युवाओं ने कथा व पूजन का लाभ लिया।
कथा श्रवण के दौरान भेरूलाल छातोद, संजय मोतीलाल दवे, राजेंद्र देवड़ा, रामचंद्र रोतेला, सतीश भारती, मुन्नालाल शर्मा, राजेश कटारिया, शैलेन्द्र सोनी, रवि सोनी, संजय पाटीदार, विनोद माली, विकास बाबू देवड़ा, योगेश रेडा, जितेंद्र मालवीय, रितेश झाला आदि भक्तजन मौजूद रहे।
