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रतलाम – : अक्सर कई मामलों में देखा जाता है की पुलिस द्वारा जबरन लोगो पर प्रकरण दर्ज करके आरोपी बना कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है , किंतु जब मामला कोर्ट में प्रस्तुत होता है तब कोर्ट द्वारा जांच के बाद पुलिस को भी फटकार लगाई जाती है और दोषी बने व्यक्ति को निर्दोष करार दिया जाता है , किंतु रतलाम ने एक ऐसा ही मामला में पुलिस के पक्ष में कोर्ट ने फैसला सुनाया है जहा आरोपी द्वारा पुलिस की कार्यवाही के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस पर अनुचित दबाव बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा था किंतु हाई कोर्ट द्वारा जांच के उपरांत आरोपियों की याचिका को खारिज किया और आरोपियों को फटकार लगाते हुए जुर्माना भी लगा दिया

जानिए आखिर क्या है पूरा मामला – : थाना सैलना जिला रतलाम पुलिस द्वारा दिनांक 16 अप्रैल को आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर व अन्य साथी संदीप जाट द्वारा फरियादी गेंदालाल के साथ लात घुसे से मारपीट करते हुए फरियादी को चाकू मारकर घायल कर फरियादी से 10,000 रुपए लूट कर भाग गए थे। घटना पर थाना सैलाना पर धारा 323, 324, 294, 392, 394/34 आई.पी.सी. 1980 और 3(2)(वी-ए) और 3(1)(आर)(एस) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढा के निर्देशन में थाना सैलाना पुलिस द्वारा आरोपियों हर्षवर्धन सिंह गुर्जर एवं संदीप जाट को गिरफ्तार कर कर वैधानिक कार्यवाही की गई थी।

पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही के विरुद्ध आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमे पुलिस द्वारा अवैधानिक कस्टडी में रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस के विरुद्ध जुर्माने की मांग की गई थी। जिस पर न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर यह पाया गया की आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर एवं सह आरोपी संदीप जाट द्वारा फरियादी के साथ मारपीट करते हुए फरियादी को चाकू से घायल कर फरियादी के 10000 रुपए भी लूट लिए थे। जिस पर पुलिस द्वारा कार्यवाही करते हुए प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपियों को हिरासत में लिया गया था। याचिकाकर्ता हर्षवर्धन सिंह गुर्जर के विरुद्ध 06 अपराधिक मामले दर्ज होकर आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति का बदमाश है। आरोपी हर्षवर्धन के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत भी कार्यवाही की गई थी।

क्या पाया गया जांच के उपरांत – : न्यायालय द्वारा याचिका की जांच में यह पाया की याचिकाकर्ता हर्षवर्धन द्वारा पुलिस पर दबाव बनाने तथा अपना प्रभाव जमाने के उद्देश्य से पुलिस के विरुद्ध अवैधानिक हिरासत में रखने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता का यह पहला अपराधिक मामला नहीं है बल्कि इसके अलावा भी याचिकाकर्ता पर मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने आदि के 06 अन्य अपराधिक प्रकरण दर्ज है। अतः यदि न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार की राहत प्रदान की जाती है तो यह सीधे तौर पर न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

क्या कहना है मामले में हाई कोर्ट का – : उच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया की यह याचिका पूर्णतः गलत सोच एवम गलत उद्देश्य से दायर की गई है। यह याचिका खारिज करने योग्य है। इस तरह से गलत उद्देश्य से याचिका दायर करने वाले लोगो को यह एहसास होना चाहिए की न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करने का कोई गंभीर कारण होना चाहिए, केवल दबाव बनाने या अपना प्रभाव जमाने के उद्देश्य से याचिका दायर करना बिलकुल भी उचित नहीं है। अतः इसे 2500 रुपए के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है। न्यायालय द्वारा जुर्माने की राशि को 4 सप्ताह के भीतर जमा करने के निर्देश दिए गए। समय सीमा में जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर भूमि कर के रूप में वसूल करने के निर्देश प्रदान किए गए।*


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Tushar Sharma

By Tushar Sharma

पंजीयन जानकारी : – स्वतंत्र कलम न्यूज़ पोर्टल भारत सरकार के एमएसएमई विभाग से पंजीकृत होकर स्वीकृत है तथा इसका पंजीकरण क्रमांक –UDYAM –MP–37–0017120 है , त्तथा इसका संचालन रतलाम जिले से किया जाता है । निजी जानकारी: – वर्ष 2020 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत, शुरू से ही प्रिंट मीडिया में कार्य का अनुभव और वर्तमान में अब प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कार्यरत ,तथा स्वयं का न्यूज पोर्टल भी संचालित है । 2020 में सर्वप्रथम पत्रकारिता की शुरूवात साप्ताहिक समाचार पत्र परखा दर्पण से शुरू की जिसमे कैमरामैन की भुमिका निभाई , उसके बाद सांध्य दैनिक सिंघम टाइम्स में पेपर वितरण की भूमिका निभाई फिर सिंघम रिपोर्टर की भूमिका की निभाई साथ ही जेटीवी भारत और साप्ताहिक समाचार पत्र इन्दौर फर्स्ट में जिला रिपोर्टर की भूमिका भी निभाई गई , वर्तमान में सांध्य दैनिक समाचार पत्र संघर्ष से सिद्धि , में जिला रिपोर्टर की भूमिका ओर स्वयं का न्यूज़ पोर्टल स्वतंत्र कलम का संचालन ।

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