रतलाम – : करमदी में श्री हनुमान जी के मंदिर पर भगवा ध्वज का विवाद थमने का नाम नही ले रहा है , , क्योंकि एक पक्ष द्वारा ध्वजा लगाने को लेकर दूसरा पक्ष आपत्ति ले रहा है , धर्म की ध्वजा के इस मामले में जिले के कलेक्टर ओर एसपी भी अब तक इस मामले का निराकरण नहीं कर पाए है , जिसको लेकर उत्तर प्रदेश से रतलाम आए महंतो ने भी प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें भी खुल्ला चेताया है ओर सनातन धर्म और जैन धर्म को लेकर एक बड़ी बात भी कही गई है …..
बताया जाता है की दो दिन पुर्व ही प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को बाहर कर आरती किए जाने के मामले में श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर योगी राज नाथ महाराज, महामंडलेश्वर विजय राम दास महाराज ओर महंत योगी हज़ारी नाथ महाराज करमदी के खेड़ा पति हनुमान मंदिर पहुंचे।
महाराज ने स्वतंत्र कलम न्यूज को कहा कि प्रशासन के अधिकारीयों द्वारा मंदिर में चमडे का बेल्ट पहनकर हनुमान जी की आरती की है , जिससे मन्दिर में अशुद्धि हुई है जिससे हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ है जिसको लेकर हम सैनिक कॉलोनी से कावड यात्रा उसमे जल लेकर छिड़काव किया है क्योंकि यह हिंदू धर्म के साथ पक्षपात किया गया है यह जो विवाद है यह विवाद नही है क्योंकि इसे हम अधर्म कहेंगे यह हिंदू धर्म के साथ दुराचार किया गया है , जिसने भगवा ध्वज को लेकर विवाद किया थाने का घेराव किया गया ज्ञापन दिया गया , यह बहुत ही निंदनीय है , क्योंकि जिस धर्म से वह संबंध रखते है वह अहिंसा का धर्म है , मानवता का धर्म है और जिस धर्म ने वाणी को लेकर भी क्षमा याचना हो उस धर्म में विधर्मी लोग सनातन धर्म की पताका को नीचा करने के लिए उसे हटाने के लिए प्रशासन के पास गए लेकिन , प्रशासन ने भी अनदेखी की है पक्षपात किया गया
यह जो उक्त भूमि है सरकारी भूमि है इस सरकारी भूमि पर दो धर्म के धर्म स्थान है जिसमे जैन पंत का भी स्थान है और सनातन धर्म का भी स्थान है जिसको लेकर ग्राम वासियों ने स्थान चयनित करके हनुमन जी के मन्दिर की पताका लहराने का कार्य किया था , जिस पर जैन समाज के कुछ लोगो द्वारा आपत्ति लेते हुए इसे गलत बताया है किंतु यह कोई गलत विषय नही है धर्म की ध्वजा ल्लहराना आज से नही किंतु अनादिकाल से चली आ रही है
महंत ने कहा की में जैन समाज के गुरू जनों ओर पदाधिकारियों को यह बताना चाहता हु की आप इस मामले को संज्ञान में और जिन लोगो ने यह कृत्य किया है उसके खिलाफ सख़्त कार्यवाही करे यह बात आपके भी धर्म को शर्म शर करने वाली हरकत है सनातन धर्म आपके पिता तुल्य है आपके जो सनातन धर्म से जुड़े संबंध है पिता और पूत्र के समान है आपका जो जैन धर्म है वह सनातन धर्म से निकला हुआ धर्म है आप इसे अलग न समझे
जैन धर्म जो है वह किसी की भावनाएं को आहत नही कर सकता कुछ लोगो ने ग्राम वासियों और समस्त सनातन धर्म के लोगो की भावनाओ को आहत किया है , जिसका साथ प्रशासन ने भी दिया है यह हम नहीं जानते है यह जांच का विषय है अगर इस मामले को प्रशासन को जैन समाज संज्ञान में नहीं लेते है तो हम न्यायालय का रुख करेंगे वहा पर हमे आशा है की हमारे साथ न्याय होगा
, हन मांग करेंगे की जल्द से जल्द मामले का निराकरण हो अन्यथा पूरे भारत वर्ष से आएगा और इस मांग को उठाएगा … और न्यायलय में जायेगा
इस मामले में निराकरण होगा और निराकरण नहीं हुआ तो न्यायालय इस मामले का निराकरण करेगा ….
महंत ने प्रशासन पर नाराजगी जताई और कहा की यह देश साविधान के अनुसार चलता है ना की आपकी मन मर्जी से दोनों पक्षों की बात को सुनकर उनका निराकरण करना आपकी जवादारी है
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