अरवेद्र प्रताप राणा ने बताया कि जब वे 18 साल के थे, तब थेलेसिमिया पीड़ित मासूम बच्चों को रक्त की जरूरत पड़ी, तब राणा ने पहली बार रक्तदान किया था ।उस समय उन्हें पता चला कि कई लोगों की जान रक्त की कमी की वजह से चली जाती है. तो उन्होंने संकल्प किया कि वे हर 3 महीने में रक्तदान करेंगे इसके बाद से वे लगातार रक्तदान कर रहे हैं. उन्होंने अभी तक 24 बार रक्तदान किया है ।


इंदौर : एक ऐसे वक्त में जब छोटे-मोटे लाभ के लिए लोग रिश्ते का खून कर दे रहे हैं, एक ऐसा शख्स भी है जो बगैर लोभ लालच के अपना खून अनजान-अपरिचित लोगों के बीच बांट दे रहा है और अपने लिए तैयार कर ले रहा है खून का रिश्ता. जी हां, इस शख्स का नाम है अरवेंद्र प्रताप राणा जो मध्यप्रदेश के रीवा जिले के रहवासी है और इंदौर एवम दिल्ली में रहकर आईएएस (यूपीएससी) तैयारी कर रहे हैं ।


यह बहुचर्चित वाक्य है कि रक्तदान महादान है कहते हैं कि एक व्यक्ति के रक्तदान से 4 व्यक्तियों को नया जीवन मिलता है आज हम आपको ऐसे ही चलते-फिरते ब्लड बैंक के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने अभी तक 24 बार रक्तदान किया ।साथ ही दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं ।राणा ने अभी तक 24 बार रक्तदान किया है और अपने खून से अनेक लोगों की जान बचाई है ।
रक्तदान के लिए करते हैं प्रेरित
हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप के सदस्य अनिल रावल के द्वारा बताया कि राणा प्रत्येक 3 माह पूर्ण होने पर ब्लड डोनेट करने ब्लड बैंक पहुंच जाते है अरवेन्द्र ज्यादातर गर्भवति महिलाओ थेलेसिमिया बच्चों के ब्लड की व्यवस्था करवाते हैं साथ ही बताया गया की इनके द्वारा हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप का निर्माण किया गया हैं जो निस्वार्थ सेवा निःशुल्क सेवा के रूप में सम्पूर्ण भारत एवम अन्य देशों में अपनी सेवाएं दे रहा हैं मोटे तौर पर 134 से ज्यादा ग्रुप का निर्माण हुआ है और देश के सभी राज्यों से वॉलेंटियर्स जुड़े हुए हैं. किसी भी शहर में किसी को भी रक्त की जरूरत होती है और अगर वह इनसे संपर्क करता है तो ये उसकी रक्त की जरूरत पूरी करते हैं. इस ग्रुप के जरिए वे हर साल शहर और गांव में कई रक्तदान शिविरों का आयोजन कराते हैं. जिससे सरकारी हॉस्पिटल में आनेवाले मरीजों को रक्त की कमी न हो ।