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स्वतंत्र कलम रतलाम, प्रज्ञा डेयरी एंड एग्रो लिमिटेड कंपनी रतलाम के दो संचालकों को निवेशकों के करोड़ों रुपए बेईमानी से अपने उपयोग में समपरिवर्तित कर न्यास भंग करने व रुपया हड़पने के आरोप में दोषसिद्ध पाया। न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने धारा 409 भादवि में 10 वर्ष कारावास एवं 420 भादवि के 13 काउंट में प्रत्येक में 6 वर्ष कुल 78 वर्ष , धारा 6 निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम में 6 वर्ष तथा 25- 25 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया।

अतिरिक्त लोग अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2016 के पूर्व प्रज्ञा डेरी एंड एग्रो लिमिटेड कंपनी रतलाम के संचालक सुरेश पाटीदार पूनमचंद पाटीदार वह अन्य द्वारा रतलाम झाबुआ तथा अलीराजपुर के निवेशकों को कंपनी में रुपए जमा करने पर 5 वर्ष में जमा राशि का दुगना व दुर्घटना बीमा राशि प्रदत्त करने का प्रलोभन व झांसा दिया

कई निवेशकों से कंपनी में राशि जमा करने हेतु बेईमानी से उत्प्रेरित कर छलकार्य किया तथा परिपक्वता पर निक्षेप राशि के संदर्भ में व्यतिक्रम करते हुए फरियादी सुरेश पाटीदार व अन्य व्यक्तियों को निक्षेप के प्रति दिए गए आश्वासन अनुसार सेवाएं देने में विफल रहने के कारण फरीयादि द्वारा दिनांक 15 जनवरी 2017 को एक लेखी रिपोर्ट माणकचौक थाने पर की थी जिसमें आरोपी गणों के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था

प्रकरण में विवेचना के दौरान कंपनी के रतलाम ,झाबुआ तथा अलीराजपुर जिलों के निवेशकों से पॉलिसीया जप्त की गई तथा उनके कथन लेख बंद किए गए तथा कंपनी के संबंध में कंपनी रजिस्ट्रार से जानकारी मांगी गई तथा कंपनी के खातों की जानकारी भी प्राप्त की गई प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत सहायक उपनिरीक्षक विनोद कटारा द्वारा अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जिसका विचारण तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में किया गया जिसमें अभियोजन द्वारा 41 साक्षियों के कथन करवाये गए तथा लगभग 1052 दस्तावेज न्यायालय में प्रदर्शित कराए गए थे अभियोजन द्वारा न्यायालय में कराए गए

साक्षी एवं प्रस्तुत पॉलिसी एवं अन्य दस्तावेजों एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा द्वारा आरोपी पूनमचंद पिता रणछोड़दास पाटीदार जिला झाबुआ तथा नानालाल पिता नारायण पाटीदार जिला झाबुआ को धारा 409 ,420 भारतीय दंड विधान के 13 काउंट तथा धारा 6 मध्य प्रदेश निक्षेपों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 में दोषी पाया। जिसमे धारा 409 में 10 वर्ष कारावास तथा 420 भादवी के 13 काउंट में प्रत्येक में 6 वर्ष ,इसप्रकार 420 में कुल 78 वर्ष तथा धारा 6 निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम में 6 वर्ष का कारावास ओर कुल 25000-25000/का जुर्माना दोनों अभियुक्तों पर किया गया। प्रकरण में पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान द्वारा की गई।


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