नदिया के पर जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है यह मंदिर निचले स्तर पर निर्माण होने से यहा आने वाले सेलानियों ओर भक्तों को करेगा भरपुर आकर्षित महादेव के दर्शन के लिए पुत्र गजानंद और बजरंग से लेनी होती है अनुमति । मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी को शासन स्तर से नही है कोई सहयोग ओर न कोई साथ फिर भी महादेव का है इन पर हाथ । आरटीआई में खुलासा पंचायत को शासन स्तर से 13 साल से कोई सहयोग नहीं ।
रतलाम – रतलाम जिले में बरसो से स्थापित हिंदु धार्मिक स्थल है जो अपने कार्य और नाम से अलग ही जाने जाते है , जिला मुख्यालय से चारों दिशाओं में हर क्षेत्र में कही न कही भगवान महादेव का पौराणिक स्थल है जहा पहुंच पाना कोई खतरे से खाली नहीं ओर जाना भी आसान नहीं टेडे मेडे रास्तों और एक एक कदम की ताल ताल से मिलाकर चलने वाली पगडंडियों से होकर गुजरने वाले कठिन मार्ग रहते है जहा दर्शन के लिए भक्त जी जान लगा देते है आज बात की जाए रतलाम जिले की तो यह जिला भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है और हमारे रतलाम जिले में चारो दिशाओं में कई न कई तो महादेव गजानंद और बजरंग के मन्दिर तो अवश्य देखने को मिलेंगे अब बात की जाए जिले की बीबडोद पंचायत की तो वह श ह र से तकरीबन 5 से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस पंचायत से सटी हुई गोबरिया खाल है जिसके उसके पार घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ यह महादेव मन्दिर है जिनका नाम घुफेश्वर महादेव है जहा शिव बजरंग और गणेश की प्रतिमा स्थापित है बताया जाता है की यह प्रतिमा कई वर्षों पुरानी है और यहा दूर से भक्त दर्शन को आते है


*कैसे जाना होता है मन्दिर तक जानिए ??
प्राप्त जानकारी अनुसार बताया जाता है की यह मन्दिर सैलानियों और यह आने वाले भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है रतलाम से शिवगढ़ जाने वाले मुख्य मार्ग से इसकी दूरी कुछ कदम की ही है मन्दिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को पहले गोबारिया खाल ( उक्त मंदिर तक जाने के लिए बीच में आने वाला झरना ) जिसके ऊपर सीमेंट कांक्रीट से निर्मित मार्ग है भक्तों को मार्ग पर पैदल चल कर पार करना होता है आगे पहाड़ियों की पगडंडी पर से गुजरना होता है जो की काफी खतरनाक होता है अगर किसी भक्त का यह ध्यान नहीं रहता है तो सीधे खाल में गिरने का अंदेशा बना रहता है बात की जाए आगे की तो टेडी मेडी पहाड़ियों की पगडंडी से गुजरने के बाद फिर एक निचली रपट आती है उसको पार करने के बाद फिर पहाड़ी की पगडंडी पर से गुजरना होता है उसके बाद आता है मन्दिर के पुजारी का स्थान जहा वह निवास करते है उसको पार करते ही घने जंगल में आपको दिखता है श्री गुफेश्वर महादेव मंदिर का स्थान है










*उक्त मन्दिर के विकास के लिए अब तक क्या हुआ जानिए* – सुचना का अधिकार अधिनियम ( आरटीआई ) अंतर्गत जब इस बात की जनाकरी खोजी गई तो बीबडोद पंचायत की और से प्रेषित आरटीआई के जवाब में कहा गया की वर्ष 2010 से लेकर अब तक न ही मन्दिर के विकास के लिए राशी शासन स्तर द्वारा मंजूर की गई है और ना ही मन्दिर तक पहुंचने के लिए मार्ग की
मन्दिर में पूजा करने वाले पुजारी और उनकी माता की स्थिती
प्राप्त जानकारी अनुसार बताया जाता है की घने जंगल और पहाड़ियों से घिरे हुए इस स्थान पर मन्दिर की रखवाली और पुजा करने के लिए एक पैर से अपंग और उनकी माता का जिम्मा रहता है बताया जाता है की पुत्र और माता दोनो ही इस झोपड़ी में निवास करते है जहा जंगली जानवर के खतरे का अंदेशा रहता है और इन्हें भी किसी भी तरह से शासन और प्रशासन का सहयोग ओर साथ नही रहता है फिर भी इन पर महादेव का हाथ रहता है जिस वजह से इन पर आने वाली परेशानी खुद महादेव संभालते है ।
*क्या होगा अगर सैलाना स्थित केदारेश्वर महादेव की तर्ज पर यह मन्दिर का निचले स्तर पर निर्माण हो
गौरतलब है की अगर इस मन्दिर का निर्माण निचले स्तर यानी की आने तक का मार्ग और रपट और पहाड़ियों तक सु व्यवस्थित ढंग से कार्य निर्माण हो तो यह मन्दिर रतलाम श ह र की शान को बड़ा देगा यहा दुर दुर से भक्त और सैलानियों का आना भी रहेगा* l
